Saturday, May 15, 2010

Did Barkha Dutta and Veer Sanghavi lobby on behalf of industrialists

may 15th, 2010

i have no doubt that the crooked journalists of india are entirely capable of all sorts of malarkey, whether or not this burqa-vir duo did it. 

and i am especially ready to believe any crap done by the DMK types. they are the scum of the earth, starting with their god that pedophile bully and liar ev ramaswami naicker.

---------- Forwarded message ----------
From: sri 
Subject: Did Barkha Dutta and Veer Sanghavi lobby on behalf of industrialists
To:


 

Forwarded

Daily Pioneer Article which first unearthed this scam :
http://www.dailypioneer.com/252253/TAPPED-and-TRAPPED.html

*IMP : This news in not in mainstream media. But now growing slowly in
Internet World.*

It also says that two senior journalists—one a well-known anchor of a
national television channel (Barkha) and the other a former editor,
columnist and TV personality (Veer Sanghavi)—*lobbied on behalf of
industrialists to secure ministerial berths for friendly politicians."*

Summary :
http://blog.outlookindia.com/posts.aspx?ddm=8&kid=101451&kname=Barkha%20Dutt

There are Facebook Groups started to SAVE these guys:
http://www.facebook.com/notes/amitabh-thakur/idols-in-danger-revelations-about-mr-ratan-tata-mr-vir-sanghvi-and-ms-barkha-dut/115703431798990?ref=mf

To protect these kind of people there is Facebook Group :
http://www.facebook.com/group.php?gid=117731501594336&v=info#!/group.php?gid=117731501594336&v=wall<http://www.facebook.com/group.php?gid=117731501594336&v=info#%21/group.php?gid=117731501594336&v=wall>

Other news :

http://bhadas4media.com/tv/5036-barkha-vir.html
बरखा दत्त और वीर सांघवी के दामन दागदार
<http://bhadas4media.com/tv/5036-barkha-vir.html>
Friday, 07 May 2010 00:46 यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया
<http://bhadas4media.com/component/content/section/1.html>- टीवी
<http://bhadas4media.com/tv.html>
[image: E-mail]<http://bhadas4media.com/component/mailto/?tmpl=component&link=aHR0cDovL2JoYWRhczRtZWRpYS5jb20vdHYvNTAzNi1iYXJraGEtdmlyLmh0bWw%3D>
[image:
Print]<http://bhadas4media.com/tv/5036-barkha-vir.html?tmpl=component&print=1&layout=default&page=>
[image:
PDF] <http://bhadas4media.com/tv/5036-barkha-vir.pdf>

[image: बरखा दत्त और वीर संघवी]

बरखा दत्त और वीर संघवी
*राडिया राज 1* *:* मशहूर पत्रकार बरखा दत्त और वीर सांघवी के दामन दागदार हो
गए दिखते हैं. केंद्रीय संचार मंत्री पद पर ए. राजा को काबिज कराने व संचार
मंत्रालय से कारपोरेट घरानों को लाभ दिलाने के मामले में जिस माडर्न दलाल नीरा
राडिया का नाम उछला है, उसकी फोन टेपिंग से पता चला है कि उसकी तरफ से बरखा
दत्त और वीर सांघवी ने भी राजा को मंत्री बनाने के लिए शीर्ष कांग्रेसियों के
बीच लाबिंग की. आयकर महानिदेशालय के जो गुप्त दस्तावेज इन दिनों मीडिया सर्किल
में घूम रहे हैं, उसके पेज 9 पर एक जगह लिखा है- On Mrs. RAdia's & Kanirozhi's
behalf Barkha Dutt & Vir Sanghvi were negotiating for ministerial birth DMK
member especially Raja with Congress members. आगे यह भी लिखा है- Some close
associates of Mrs. Radia in relation to this work are, Tarun Das, Vir
Sanghavi and Sunil Arora IAS officer Rajasthan Cadre.

सबूत के तौर पर यहां आयकर महानिदेशालय के गुप्त दस्तावेज के वे अंश दिए जा रहे
हैं, जिनमें बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम दर्ज हैं.
------------------------------

------------------------------

यह पूरा खेल क्या है, राडिया कौन हैं और किसलिए इस घोटाले-घपले के प्रकरण में
बरखा दत्त और वीर सांघवी का नाम आया, इसे जानने के लिए थोड़ा अतीत में चलना
होगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इच्छा के विपरीत 22 मई 2009 को ए. राजा को
केंद्रीय मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. उन्हें लाने वाले कौन लोग थे, इसका खुलासा
अब हो रहा है. जिन लोगों ने ए. राजा को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए
लाबिंग की, उन्हीं लोगों ने ए. राजा को संचार व सूचना तकनीक मंत्री पद भी
दिलाने की कोशिश की और इसमें सफलता हासिल की. ऐसा करने वाले लोग देश के ताकतवर
कारपोरेट घराने से जुड़े थे और इनके बिचौलिए, दूत, सलाहकार, मैनेजर... जो कह
लीजिए, के रूप में नीरा राडिया काम कर रहीं थीं.

नीरा राडिया, जिन्हें मीडिया, नौकरशाही और राजनीति, तीनों को मैनेज करने में
महारत हासिल है, टाटा समेत कई बड़े घरानों के लिए मीडिया मैनेज करने का भी काम
करती हैं. नीरा राडिया के पास कई बेहद 'सफल' कंपनियां हैं. इन कंपनियों की
सफलता का राज क्या है, इसके बारे में इससे समझा जा सकता है कि इनमें करोड़ों के
पैकेज पर रिटायर हो चुके ढेर सारे बड़े नौकरशाह काम करते हैं. ये अधिकारी सत्ता
को मैनेज करने का गुर जानते हैं. नीरा राडिया टाटा के अलावा यूनीटेक, मुकेश
अंबानी की कंपनियों और कुछ मीडिया समूहों के लिए काम करती हैं. नीरा राडिया की
कंपनियों में काम करने वाले अधिकारी इन घरानों के हित में नीतियां बनवाने,
निर्णय कराने के लिए शीर्ष स्तर पर लगे रहते हैं.

बात हो रही थी ए. राजा की. बड़े कारपोरेट घराने के लोग चाहते थे कि हर हाल में
भ्रष्टाचार-कदाचार के आरोपी ए. राजा को संचार मंत्रालय मिले ताकि उनके, मतलब
कारपोरेट घरानों के, निहित स्वार्थ आसानी से पूरे किए जा सकें. इसके लिए नीरा
राडिया की मदद ली गई. टेलीकाम लाइसेंस, स्पेक्ट्रम, विदेशी निवेश आदि में लाभ
पाने के लिए कारपोरेट घरानों ने जिस नीरा राडिया को अपना बिचौलिया बनाया, उस
नीरा राडिया की खुद की कुल चार कंपनियां हैं. बड़े कारपोरेट घरानों को
बड़े-बड़े लाभ दिलवाकर नीरा राडिया की कंपनियां खुद करोड़ों-अरबों रुपये कमाती
हैं. देसी भाषा में कहा जाए तो यह दलाली का खेल है जो बेहद टाप लेवल पर हो रहा
है.

जब यह पूरा गड़बड़झाला सीबीआई को पता चला तो आयकर विभाग की मदद से जांच कराई
गई. इसके लिए नीरा राडिया के फोन टेप किए गए. इस फोन टेपिंग से नीरा राडिया के
सत्ता, कारपोरेट घराने और वरिष्ठ अधिकारियों को
[image: नीरा राडिया उर्फ द ग्रेट माडर्न दलाल]

नीरा राडिया उर्फ द ग्रेट माडर्न दलाल
मैनेज करने का खेल उजागर तो हो गया है लेकिन जिन ईमानदार अधिकारियों ने इस खेल
को उजागर किया, उनका तबादला भी अब किया जा चुका है. इशारा साफ है, मामले को
दबाने की कोशिशें की गईं. दलाली के दलदल के गहरे राज बाहर न आ जाएं, इसलिए
जांच-वांच के काम पर आंच आने लगी.

फिर चलते हैं नीरा राडिया के पास. नीरा राडिया की कई संदिग्ध गतिविधियों की
जानकारी जब सीबीआई को मिली और एक खास मामले में इनकी आपराधिक भूमिका का पता चला
तो इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया. इसके बाद सीबीआई के एंटी
करप्शन ब्यूरो के डीआईजी विनीत अग्रवाल ने आयकर महानिदेशालय के इन्वेस्टीगेशन
सेक्शन के अधिकारी मिलाप जैन को पत्र लिखकर नीरा राडिया के बारे में उपलब्ध
जानकारियों की मांग की.

इस अनुरोध पर आयकर विभाग के संयुक्त निदेशक आशीष एबराल ने सीबीआई के विनीत
अग्रवाल को कई नई जानकारियां तो दी. इसी के बाद टेलीफोन टेप किए जाने का
प्रस्ताव किया गया. मंजूरी मिलने पर विधिवत रूप से राडिया की फोन टेपिंग शुरू
हुई. राडिया और उनकी कंपनियों के अधिकारियों, सभी लोगों के फोन टेप किए जाने
लगे. इस फोन टेपिंग से चला कि कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए राडिया
और उनकी कंपनियों के लोगों ने सरकार की कई नीतियों को बदलवा दिया. फोन टेपिंग
से राडिया की केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा से नजदीकी का तो राज खुला ही, इस
पूरे खेल में किस तरह राडिया ने मीडिया के बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे
दिग्गजों को मैनेज किया, और मीडिया के इन दिग्गजों ने लाबिंग की, इसका भी पता
चला.

इनकम टैक्स डायरेक्टोरेट के गुप्त दस्तावेज बताते हैं कि कॉरपोरेट घरानों की
सलाहकार राडिया मीडिया दिग्गजों व अन्य प्रभावशाली लोगों के जरिए ए. राजा को
केंद्रीय संचार मंत्री बनवाने में जुटी हुईं थीं. केंद्रीय कैबिनेट के शपथ
ग्रहण समारोह से पहले राडिया की कई राउंड कई लोगों से बातचीत हुई. उन्होंने इस
काम के लिए मीडिया के इन दिग्गजों को भी लगा रखा था जिनका सत्ता व राजनीति के
लोगों से अच्छा खासा संपर्क है.

नीरा राडिया और रतन टाटा के बीच भी लंबी बातचीत हुई जिससे पता चलता है कि टाटा
नहीं चाहते थे कि दयानिधि मारन संचार मंत्री बनें. उधर, भारती एयरटेल के मालिक
सुनील मित्तल चाहते थे कि दयानिधी मारन संचार मंत्री बनें. ऐसा इसलिए क्योंकि
मित्तल नहीं चाहते थे कि राजा के मंत्री बनने के बाद उनके हितों पर चोट पहुंचे.
इस तरह राजा को मंत्री बनाने और न बनाने को लेकर कॉरपोरेट घरानों में आपसी
लड़ाई जमकर चली और नीरा राडिया ने अपने प्रभाव के बदौलत टाटा के उद्योग घराने
का हित सधवाने में कामयाबी हासिल की और राजा को मंत्री बना दिया गया.

सीबीआई जांच, आयकर विभाग की रिपोर्ट और फोन टेपिंग के दस्तावेजों से पता चलता
है कि किस तरह इस देश में शीर्ष स्तर पर लूटपात का एक बड़ा तंत्र विकसित हो
चुका है और इसमें बड़े नेता, बड़े पत्रकार, बड़े नौकरशाह आदि शामिल हैं.
कारपोरेट घरानों को वित्तीय सलाह देने वाली नीरा राडिया की चार कंपनियों ने भी
इस मैनेज करने, लाभ दिलाने के खेल से खूब पैसा बनाया. नीरा राडिया के बारे में
बताया जाता है कि वे किसी भी कीमत पर काम कराना जानती हैं और अपने संबंधों के
बल पर सरकार की नीतियों तक में परिवर्तन करा पाने में सक्षम हैं. इस खेल के
कारण केंद्र सरकार और देश को भले ही करोड़ों-अरबों का चूना लगता हो लेकिन नीरा
राडिया और उनके क्लाइंट कारपोरेट घराने करोड़ों-अरबों का लाभ हासिल कर दिन दूनी
रात चौगुनी गति से तरक्की करते हैं.

नीरा राडिया की जो चार कंपनियां हैं वैश्नवी कॉरपोरेट कंसलटेंट प्राइवेट
लिमिटेड, नोएसिस कंसलटिंग, विटकॉम और न्यूकाम कंसलटिंग, ये सभी संचार, ऊर्जा,
उड्डयन और अन्य कई मंत्रालयों में सेटिंग कर अपने कारपोरेट क्लाइंट्स को लाभ
पहुंचाती हैं. आयकर महानिदेशालय की गुप्त रिपोर्ट का पूरा पेज नंबर 9 नीचे दिया
जा रहा है, जिसमें बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम हैं, साथ ही साथ कई अन्य
जानकारियां भी हैं-

ये है वो पत्र जो सीबीआई के एंटी करप्शन ब्रांच के डीआईजी विनीत अग्रवाल ने
डायरेक्टोरेट जनरल आफ इनकम टैक्स (डीजीआईटी) इनवेस्टिगेशन के अधिकारी मिलाप जैन
को लिखा था. इस पत्र में उन्होंने वर्ष 2007-08 में यूएएस लाइसेंस आवंटित किए
जाने के मामले में आपराधिक साजिश रचने वाली नीना राडिया के खिलाफ दर्ज मुकदमें
का जिक्र करते हुए नीना राडिया से संबंधित जानकारियां मांगी थी. पूरा पत्र इस
प्रकार है-

 

3 comments:

Anonymous said...

Remember the dialogue by Nirupa Roy in "Deewaar"? "I hope your hands don't shake when you take the gun in your hand."

nizhal yoddha said...

a commenter said (with request to not post the whole thing):

Rajeev Sir,
I'm a regular reader of this terrific blog. Please keep up the good work, especially the bold criticism and the nice, politically incorrect vocabulary used to describe the Kazhagams of Tamilnadu.
Being a Tamil Brahmanan living in TN, I'll get beaten up if I speak like this, and so I just love what you're doing.

One small correction please: An earlier post of yours mentioned something about Tamils having an "unfortunate" inclination towards the "i", eg. "vadai".
I fail to understand what's unfortunate with this. Yes, the "h" in hindhu is, but not the "i". FYI, The "i" at the end is normal Tamil usage and not perverted Karunanidhi-EVR usage as you might be thinking.
If you say "vada", we say "vadai".
Please remove that alone, and continue your good work!

nizhal yoddha said...

no, i didn't think the 'i' is DMK usage. it is just annoying when tamils use the extra 'i' for everything that is not even tamil. one of my examples is the 'mookambika' temple in karnataka. tamils call it 'moogambigai'. similarly 'mala' and 'pilla' in malayalam have been named 'malai' and 'pillai' in tamil. 'vada' and 'dosa' are inventions of the udupi folks, and they call them 'vada' and 'dosa'. so my question is, why should we accept tamil spellings for these things that are not theirs? also, tamils mercilessly tease malayalis for their (admittedly funny) accents. why isn't it fair to do the reverse?

i used to do this wrt to tamil english too -- the ubiquitous present continuous tense: "you are having a boy?" startled mother: "no, no, i already had him!"